त्रिस्तुतिक श्रीसंघ के पुनरोद्धारक
श्रीमद्विजय राजेन्द्रसूरीश्वर जी म. सा.
काल गणना की मर्यादा से अधिक प्राचीन हैं यह मार्ग । अंतिम तीर्थंकर भगवान श्री महावीर प्रभु के निर्वाण के बाद आचार्यवर्यों ने इस संघ का नेतृत्व किया । यद्यपि नेता गीतार्थ, समर्थ और जागृत थे, तथापि ह्रास प्रधान काल, राजकीय वातावरण और अन्याय निमित्तों से त्यागियों मुमुक्षुओं के इस संघ पर शिथिलता हावी हो चली ।
दो सौ वर्ष पहले जैन श्वेताम्बर संघ मे आचार शिथिलता का साम्राज्य हो गया था । उस समय संघ का नेतृत्व यतियों के हाथ मे था, जो अपनी-अपनी चहनाओं की पूर्ति मे लगे थे। ऐसे समय में शिथिलता के गर्त से संघ को निकालकर श्रीमद्विजय राजेन्द्रसूरीश्वर जी म. सा. ने त्रिस्तुतिक जैन संघ की पुनर्स्थापना कर धर्म जीवन को पुनः गतिशील किया ।
पुनरोंद्धार के मार्ग से श्री गुरुदेव को हटाने के लिए की प्रयत्न किए गए । अनेक तेजोद्वेषियों ने स्तुति विचारणा के समय श्री गुरुदेव पर आरोप लगाए किन्तु इतिहास पट्टावलिओ और अन्य सामग्री के बल पर आरोप की सत्यता का परीक्षण करने पर यह आरोप सत्य नहीं ठहरता । कई आचार्यों एवं मुनि भगवंतों की प्राचीनकालीन रचनाओं मे त्रिस्तूति की प्राचीनता के कई प्रमाण मिलते हैं ।
प्रमुख घटनाएं
दादा गुरुदेव श्रीमद्विजय राजेन्द्रसुरीश्वर जी म. सा. की पाट परंपरा की निश्रा मे कई महोत्सव ऐसे आयोजित हुए, जिनसे न केवल धर्म का प्रचार हुआ बल्कि गुरुभक्तों की आस्था के भी केंद्र बने।
गुरुदेवश्री ने किया त्रिस्तुतिक श्रीसंघ का पुनरोंद्धार
स्थान: जावरा | दिनांक : आसाढ़ व. 10, वि. स्. 1925
दो सौ वर्ष पहले जैन श्वेताम्बर संघ मे आचार शिथिलता का साम्राज्य हो गया था । उस समय संघ का नेतृत्व यतियों के हाथ मे था, जो अपनी-अपनी चहनाओं की पूर्ति मे लगे थे। ऐसे समय में शिथिलता के गर्त से संघ को निकालकर श्रीमद्विजय राजेन्द्रसूरीश्वर जी म. सा. ने जावरा मे क्रियोद्धार के द्वारा त्रिस्तुतिक जैन संघ की पुनर्स्थापना कर धर्म जीवन को पुनः गतिशील किया ।
गुरुदेवश्री ने की श्री मोहनखेड़ा तीर्थ की स्थापना
स्थान: श्री मोहनखेड़ा तीर्थ | दिनांक : मार्गशीर्ष सू. 7, वि. स्. 1940
श्रीमद्विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. का विहार जब राजगढ़ के निकट छोटी अस्थायी बस्ती, खेडा, से हो रहा था तब सहसा उन्हें दिव्य अनुभुति हुई। राजगढ़ आकर सुश्रावक श्री लुणाजी पोरवाल से कहा कि आप सुबह उठकर खेड़ा जावें व घाटी पर जहाँ कुमकुम का स्वस्तिक देखें, वहाँ निशान बनाकर मंदिर का निमार्ण कराए।
गुरुभक्त लुणाजी ने गुरुदेव के कथनानुसार मंदिर का निर्माण कराया। गुरूदेवश्री ने मार्गशीर्ष सू. 7, वि. स्. 1940 के शुभ दिन मुलनायक श्री ऋषभदेव भगवान आदि के 41 जिनबिम्बों की अंजनशलाका-प्रतिष्ठा की तथा इस तीर्थ क्षेत्र को 'मोहनखेडा' के नाम से पुकाराने की घोषणा की।
आचार्य श्री यतीन्द्रसूरि जी म.सा. की निश्रा मे
प्रथम जीर्णोद्धार एवं अर्ध-शताब्दी महोत्सव
स्थान: श्री मोहनखेड़ा तीर्थ | अर्ध-शताब्दी दिनांक : 12 अप्रैल - 15 अप्रैल 1957
संवत 1991 मे मंदिर निर्माण के लगभग 28 वर्ष पश्चात श्री यातीन्द्रसूरि म.सा. के उपदेश से प्रथम जीर्णोद्धार हुआ। यह जीर्णोद्धार उनके शिष्य मुनिप्रवर श्री अमृतविजयजी की देखरेख व मार्गदर्शन मे हुआ था।
बड़नगर मे आचार्य श्री की निश्रा मे अर्धशताब्दी महोत्सव की रूपरेखा निर्धारित हुई। यह उत्सव चेत्र शुक्ल 13-15 स्. 2013 (12 अप्रैल - 15 अप्रैल 1957) तक आयोजित हुआ। चेत्र शुक्ल पूर्णिमा को पूज्य गुरुदेव को विशाल जनमेदिनी ने श्रद्धांजलि अर्पित की तथा इसी दिन श्री राजेन्द्रसूरि स्मारक ग्रंथ का लोकार्पण भी हुआ था।
आचार्य श्री विद्याचन्द्रसूरि जी म.सा. की निश्रा मे
द्वितीय जीर्णोद्धार सम्पन्न
स्थान: श्री मोहनखेड़ा तीर्थ | दिनांक : 19 जून 1975-20 फरवरी 1978
23 मई 1975 को मूलनायकजी का उत्थापन के बाद ज्येष्ठ शुक्ल 11 स्. 2032 (19 जून 1975) को भव्य समारोह के साथ शिलान्यास किया गया और तीव्र गति से निर्माण कार्य प्रारंभ हो गया।
आचार्य श्री विद्याचन्द्रसूरि जी म.सा. ने अपने करकमलों से माघ शुक्ल 12 वि.स्. 2034 (20 फरवरी 1978) को 377 जिनबिंबों की अंजनशलाका की। अगले दिवस तीर्थाधिराज मूलनायक श्री ऋषभदेव जी आदि 51 जिनबिंबों की प्राण प्रतिष्ठा की व शिखरों पर दण्ड, ध्वज व कलश समारोपित किए गए।
दो राष्ट्रसंत आचार्यों की निश्रा मे
भव्य शताब्दी महोत्सव का आयोजन
स्थान: श्री मोहनखेड़ा तीर्थ | दिनांक : 15 दिसम्बर 2006-31 दिसम्बर 2006
विश्वपूज्य प्रातःस्मरणीय आचार्य श्रीमद्विजय राजेन्द्रसुरीश्वर जी म. सा. की 180वे जन्मतिथि एवं 100वीं पुण्यतिथि को उनकी पुण्य स्थली श्री मोहनखेड़ा तीर्थ की पवित्र स्थली पर स्वर्गारोहण शताब्दी महमहोत्सव के रूप मे मनाया गया।
15 दिसम्बर से 31 दिसम्बर 2006 तक आयोजित शताब्दी महामहोत्सव को राष्ट्रसंत शिरोमणि आचार्यदेव श्रीमद्विजय हेमेन्द्रसूरिश्वर जी म. सा. एवं राष्ट्रसंत आचार्यदेव श्रीमद्विजय जयंतसेनसूरिश्वर जी म. सा के अतिरिक्त आचार्यदेव श्री प्रसन्नदेवसूरिजी म.सा. एवं आचार्यदेव श्री प्रद्युम्नविमलसूरिजी म. सा. आदि मुनि-मण्डल एवं श्रमणी-मण्डल ने निश्रा प्रदान की थी।
हमारा उद्देश्य
आचार्यदेव श्रीमद्विजय राजेन्द्रसूरि एवं उनके पट्टधर आचार्य भगवंतों द्वारा प्रदान दायित्व को अ.भा. श्री सौधर्म बृहत्ततपागच्छीय त्रिस्तुतिक श्रीसंघ निर्वाहित करे के लिए प्रेरित तथा उत्सुक हैं।
श्रीसंघ की सेवा
जिनालय, उपाश्रय, श्रीसंघ की प्राचीन धरोहर, वैयावच्च, श्रीसंघ, शोध संस्थान, साहित्य प्रकाशन, ज्ञान भंडार, जैन पाठशाला, गुरुकुल, गौशाला आदि स्थानों पर सेवा प्रदान करना।
श्रीसंघ का संगठन
शहरी तथा कस्बों मे बसे त्रिस्तुतिक मतावलंबीयों को संगठित करना तथा पदाधिकारीयों को जिम्मेदारी सौंपकर संगठन मजबूत करना।
श्रीसंघ में समन्वय
श्रीसंघ के मुनि भगवंतों, साध्वी भगवंतों, श्रावक एवं श्राविकाओं के मध्य समन्वय बनाना तथा विवाद की स्तिथि में विनयपूर्वक समाधान करना।
विगत कार्यक्रम
सादगी के साथ गुरु सप्तमी महोत्सव मनाया गया
राजगढ़ (धार) 09 जनवरी 2022 । श्री आदिनाथ राजेन्द्र जैन श्वे. पेढ़ी ट्रस्ट श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ के तत्वाधान में प.पू. गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के दिव्य आशीष से मुनिराज श्री पीयूषचन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री चन्द्रयशविजयजी म.सा., मुनिराज श्री पुष्पेन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री रुपेन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जिनचन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जनकचन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जिनभद्रविजयजी म.सा. एवं साध्वी श्री सद्गुणाश्रीजी म.सा., साध्वी श्री विमलयशाश्रीजी म.सा., साध्वी श्री तत्वलोचनाश्रीजी म.सा. आदि ठाणा की निश्रा में ट्रस्ट मण्डल की उपस्थिति में दादा गुरुदेव श्रीमद्विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. की 195 वीं जन्म जयंति एवं 115 वीं पुण्यतिथि सादगी पूर्ण तरीके से म.प्र. शासन द्वारा प्रदत्त कोरोना की गाईड लाईन का पालन करते हुए मनायी गयी ।
गुरु सप्तमी महामहोत्सव अन्तर्गत शत्रुंजयावतार प्रभु श्री आदिनाथ भगवान के अभिषेक, केसर पूजा एवं दादा गुरुदेव श्रीमद्विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. की गुरु प्रतिमा पर अभिषेक व केसर पूजा भीनमाल निवासी श्रीमती बदामी देवी सरेमलजी कपुरचंदजी कोठारी परिवार मुम्बई द्वारा की गयी । रात्रि में 08ः08 पर दादा गुरुदेव श्रीमद्विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. की गुरु सप्तमी महोत्सव की मुख्य आरती देसुरी निवासी श्रीमती पुष्पादेवी गुलाबचंदजी फागणिया हस्ते राजेश भाई द्वारा उतारी गयी ।
गुरु सप्तमी महोत्सव के अवसर पर केन्द्रीय मंत्री श्री फग्गनसिंह कुलस्ते एवं श्री कृष्णमुरारी मोघे पूर्व सांसद का प्रभु श्री आदिनाथ भगवान एवं दादा गुरुदेव श्रीमद्विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के दर्शनार्थ तीर्थ पर आगमन हुआ । श्री आदिनाथ राजेन्द्र जैन श्वे. पेढ़ी ट्रस्ट की और से सभी पदाधिकारी ट्रस्टीगणों ने अतिथियों का सम्मान किया । कार्यक्रम में सरदारपुर क्षेत्र में विगत कई वर्षो से स्वास्थ सेवाऐं प्रदान करने वाले डाॅ. एम. एल. जैन व 150 से अधिक जिन मंदिरों के जिर्णोद्धार करने वाले श्री भूषण भाई का ट्रस्ट की ओर से अभिनन्दन पत्र भेंट कर बहुमान किया गया । इस अवसर पर डाॅ. एम. एल. जैन ने गौशाला के मुक पशुओं के लिये दान राशी की घोषणा की । कार्यक्रम में तीर्थ से प्रकाशित होने वाले वार्षिक पंचांग एवं पंच प्रतिक्रमण पुस्तक का विमोचन लाभार्थी व ट्रस्ट के पदाधिकारीयों द्वारा किया गया ।
मुनिराज श्री हितेशचंद्रविजयजी म.सा. का हुआ भव्य प्रवेश
मदुरै/बेंगलूरु 23 जुलाई 2021 | ज्योतिषाचार्य मुनिराज श्री जयप्रभविजयजी म.सा. के शिष्यरत्न एवं श्रीमदविजय ऋषभचंद्रसूरीश्वर जी म.सा. के आज्ञानुवर्ती मालव केसरी संयमवय स्थविर वरिष्ठ मुनिराजश्री हितेशचंद्रविजयजी म.सा. और ज्योतिष रत्न मुनिराजश्री दिव्यचंद्रविजयजी म.सा. का गुरूवार को भव्यातिभव्य चातुर्मास प्रवेश तमिलनाडु प्रान्त के मदुराई नगर में साचा सुमतिनाथ राजेंद्र सूरी ट्रस्ट में भव्यातिभव्य शोभा यात्रा के साथ हुआ | जिसमे श्री आदिनाथ राजेंद्र जैन श्वेताम्बर ट्रस्ट मोहनखेड़ा ट्रस्ट मंडल के ट्रस्टी मांगीलाल रामाणी, जयंतीलाल कंकुचोपड़ा, भेरूलाल गादिया, श्री भीनमाल जैन संघ बेंगलुरु के वंशराज वोहरा, महेंद्र सेठ, श्री मोहनखेड़ा राजेंद्रसूरी मंदिर ट्रस्ट बंगलुरु के भंवरलाल भंडारी, नरपत राणावत, कांतिलाल सेठ, राहुल, कोयंबटूर से सौधर्मबृहत्तपागच्छीय त्रिस्तुतिक जैन संघ के तमिलनाडु प्रान्त के सचिव संजय भंडारी, श्री राजेंद्रसूरी जैन मंदिर ट्रस्ट वी वी पुरम बेंगलुरु से श्री प्रकाश भंडारी, महेंद्र कंकुचोपड़ा, श्री सेलम त्रिस्तुतिक जैनसंघ के पदाधिकारी, बेंगलुरु से घेवर लूणवा, रमेश बंदामुथा, देवेंद्र तातेड़ सहित देश भर से काफी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचे | मदुराई ट्रस्ट के बगदावरमल हरण, कांतिलाल, डूंगरमल, किशोर, महेंद्र, कांतिलाल आर के ने सभी आगंतुक मेहमानो का स्वागत कर धन्यवाद दिया |
नागदा श्रीसंघ के आंगणिया, पधारे गुरूवर पामणिया, नगर में हुआ चातुर्मासिक भव्य मंगल प्रवेश
नागदा 18 जुलाई 2021 । श्री श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन श्रीसंघ नागदा जं. के तत्वावधान में वर्ष 2021 में होने वाले चातुर्मास के अंतर्गत प.पू. श्रीमद्विजय हेमेन्द्रसूरिश्वरजी म.सा. के शिष्यरत्न एवं प.पू. श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्र सूरिश्वरजी म.सा. के आज्ञानुवर्ति मुनिराज श्री चन्द्रयशविजयजी म.सा. एवं मुनिश्री जिनभद्रविजयजी म.सा. का मंगल प्रवेश चंबल सागर मार्ग स्थित पुरानी नगर पालिका से रविवार को प्रातः 9 बजे प्रारम्भ हुआ, जिसकी अगवानी श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन श्रीसंघ एवं आत्मोद्धारक चातुर्मास समिति 2021 के सदस्यो द्वारा की गई।
सिद्धितप से तन की शुद्धि, मन की विशुद्धि एवं आत्मा की समृद्धि बढ़ती है तथा यही सिद्धि तप का मार्ग हमें आत्मा को परमात्मा से जुड़ने के लिये अग्रसर करता है। उक्त संदेश देते हुए मुनिराज चन्द्रयशविजयजी म.सा. ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए चातुर्मास में होने वाले विभिन्न तप, आराधनाओं, धार्मिक अनुष्ठानों, महापुजन आदि के महत्व को समझाते हुए समाजजनो से अधिक से अधिक धर्मआराधनाओं मे जुड़ने की प्रेरणा दी।
कार्यक्रम में मुनिश्री को काम्बली ओढ़ाने का लाभ मन्नालालजी सुभाषजी नागदा परिवार, चातुर्मासिक कलश स्थापना का लाभ रेखादेवी कांतिलालजी शाह(मुम्बई), चातुर्मासिक अखण्ड दीपक का लाभ प्रकाशदेवी नाथुलालजी संघवी परिवार (रतलाम) एवं आचार्यश्री के पट पर गुरूपुजा करने का लाभ सुरेशजी कबदी परिवार(विजयवाड़ा) द्वारा लिया गया।
मोहनखेड़ा तीर्थ पेढ़ी ट्रस्ट के मेनेजिंग ट्रस्टी सुजानमल सेठ, श्री राजहर्ष हेमेन्द्र ट्रस्ट नाकोड़ा के महामंत्री रमेशजी हरण, श्रीसंघ अध्यक्ष हेमन्तजी कांकरिया, श्रीसंघ संरक्षक भंवरलालजी बोहरा, श्रीसंघ सचिव मनीष सालेचा व्होरा, चातुर्मास समिति अध्यक्ष रितेश नागदा, चातुर्मास समिति सचिव राजेश गेलड़ा, चातुर्मास संयोजक सुनील कोठारी एवं बाहर के श्रीसंघो से पधारे अध्यक्षगण ने भगवान एवं गुरूदेव के चित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्वलन का कार्यक्रम सम्पन्न किया।
श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ में आचार्य श्री विद्याचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. की 41 वीं पूण्यतिथि मनायी
राजगढ़ (धार) 16 जुलाई 2021 । श्री आदिनाथ राजेन्द्र जैन श्वे. पेढ़ी ट्रस्ट श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ के तत्वाधान में आज शुक्रवार को गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के आज्ञानुवर्ती व शिष्यरत्न मुनिराज श्री पीयूषचन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री रजतचन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री वैरागयशविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जिनचन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जीतचन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जनकचन्द्रविजयजी म.सा. एवं साध्वी श्री सद्गुणाश्री जी, साध्वी श्री संघवणश्री जी, साध्वी श्री विमलयशाश्री जी म.सा. आदि ठाणा की पावनतम निश्रा में दादा गुरुदेव की पाट परम्परा के पंचम पट्टधर कविरत्न आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय विद्याचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. की 41 वीं पूण्यतिथि पूर्ण श्रद्धाभाव के साथ मनायी गयी ।
कार्यक्रम में मुनिभगवन्तों ने समस्त श्रावक-श्राविकाओं को गुरु विद्याचन्द्रसूरि इक्कीसा आदि का पाठ श्रवण करवाया व गुरुदेव की आरती उतारी गयी । गुणानुवाद सभा में मुनिभगवन्तों ने आचार्यश्री विद्याचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ में विकास कार्यो हेतु उन्हें याद किया साथ ही तीर्थ के मेनेजिंग ट्रस्टी श्री सुजानमल सेठ ने आचार्यश्री को पुष्पाजंलि अर्पित करते हुये कहा कि आचार्यश्री विद्याचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. का मुझे बचपन से ही सानिध्य मिला उन्होंने तीर्थ के विकास में अपना सम्पूर्ण जीवन तीर्थ को समर्पित किया । गुणानुसभा के पश्चात् गौशाला में गायों को गुड़ लापसी, हरी घांस, कबुतरों को दाना परोसा गया । विजय मुहूर्त में श्री विद्याचन्द्रसूरि अष्टप्रकारी पूजन किया गया । कार्यक्रम में तीर्थ के मेनेजिंग ट्रस्टी सुजानमल सेठ, राजगढ़ श्रीसंघ से संतोष चत्तर, विरेन्द्र सराफ, राजेन्द्र मामा, झाबुआ श्रीसंघ से बाबुलाल कोठारी, सोहनलाल कोठारी, सुभाष कोठारी, धार श्रीसंघ से प्रकाश छाजेड़, दीपक बाफना, तीर्थ के महाप्रबंधक अर्जुनप्रसाद मेहता, सहप्रबंधक प्रीतेश जैन सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे ।
आत्मोद्धारक छःरी पालक संघ का मुहूर्त दिया 11 दिसंबर से होगा संघ प्रारंभ
राजगढ़ (धार) 12 जुलाई 2021 । जैन शासन में आत्मउद्धार के अनेक मार्गो में एक छरी पालक संघ यात्रा का विधान शास्त्रों में बताया गया है नियम पूर्वक तीर्थ यात्रा करके अनेक आत्माएं अपने पूर्व संचित कर्मों का क्षय करती है तीर्थ यात्रा के लिए बढ़ाया गया प्रत्येक कदम हमारे मन में शुभ भावों को जन्म देता है । जो इस यात्रा का आयोजन करता है वह अनंतपुण्य का भागी होता है । उक्त विचार मुनि श्रीचंद्रयश विजयजी ने संघ उद्घोषणा कार्यक्रम के तहत व्यक्त किये । नागेश्वर तीर्थ में एक ऐतिहासिक प्रसंग संपन्न हुआ जिसमें परम पूज्य गच्छाधिपति आचार्य देवेश श्रीमद्विजय हेमेन्द्र सूरीश्वरजी म. सा. के शिष्यरत्न एवं पू. शासन प्रभावक आचार्य श्रीमद्विजय ऋषभचंद्र सूरीश्वरजी म.सा. के आज्ञानुवर्ती मुनिराज श्रीचंद्रयश विजयजी म.सा. एवं मुनि श्री जिनभद्रविजयजी म.सा. की शुभ निश्रा में मेंगलवा (राज.) नि. शा. पारसमलजी नैनमलजी संकलेचा परिवार द्वारा आयोजित श्री तगड़ी जैन तीर्थ से सिद्धाचल महातीर्थ के छरी पालक संघ की उद्घोषणा की गई साथ ही संघ का मुहूर्त भी प्रदान किया गया ।
सामैया व मुनिवरों का प्रवेश-
कार्यक्रम का शुभारंभ संकलेचा परिवार द्वारा आयोजित वरघोड़े के साथ हुआ जिसमें संकलेचा परिवार के चार सौ से अधिक सदस्य चुनरिया साफा व श्वेत परिधान में सुशोभित हो रहे थे महिलाएं कलश उठाकर मुनिवरों का सामैया कर रही थी ढोल नगाड़ो ताशों की दिव्य ध्वनियों में आदिनाथ भगवान के जयकारों से आकाश गुंजायमान हो गया नागेश्वर तीर्थ की परिक्रमा पूर्ण कर वरघोड़ा कार्यक्रम स्थल पर पहुंचा ।
संघ का जयघोष व मुहूर्त प्रदान-
पूज्य मुनि श्री ने संघ का मुहूर्त प्रदान करते हुए 11 दिसंबर 2021 को शुभारंभ करने की आज्ञा प्रदान की संघ तीर्थमाला का कार्यक्रम 19 दिसंबर 2021 को पालीताना में होगा । इस दौरान मुनिश्री द्वारा, रजतपट्ट में निर्मित मुहूर्त पत्र संकलेचा परिवार को प्रदान किया गया ।
श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ में चातुर्मास हेतु मुनि पीयूषचंद्रविजयजी म.सा. मुनिमण्डल व साध्वीवृंद का हुआ मंगल प्रवेश
राजगढ़ (धार) 11 जुलाई 2021 । मुनिराज श्री पीयूषचंद्रविजयजी म.सा. ने चातुर्मास 2021 के प्रवेश के अवसर पर समाजजनों को कहा कि दादा गुरुदेव की पाट परम्परा के अष्ठम पट्टधर गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. सम्पूर्ण जैन जगत के लिये कोहिनूर हीरे के समान थे और अचानक यह हीरा हमारे हाथ से फिसल कर निकल चूका है उनकी कमी ट्रस्ट मण्डल को, साधु-साध्वी मण्डल को, समाजजनों को अब महसुस हो रही है । श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ में अब भक्तों को सुना सुना लगता है । क्योंकि आचार्यश्री अपने भक्तों को अलग अलग समय पर बुलवाकर बात करते थे और वह बात अब नहीं देखने में आती है । गुरुदेव मात्र तीसरी क्लास पढ़े हुऐ थे पर उनको डॉक्टर, इंजीनियर, वास्तु, ज्योतिष विभिन्न क्षेत्रों में अपार ज्ञान मॉ सरस्वती की कृपा से प्राप्त हुआ था । मंदिर निर्माण में वे अपार दखल रखते थे, और हर बारिकी का ज्ञान उनको था । आचार्यश्री अपने भक्तों की समस्याओं का त्वरित निराकरण करते थे । मुनिश्री ने ट्रस्ट मण्डल के उपाध्यक्ष पृथ्वीराज कोठारी एवं ट्रस्टी श्री बाबुलाल डोडियागांधी, श्री भेरुलाल गादिया, श्री जयंतिलाल कंकुचौपड़ा, श्री पुष्पराज बोहरा को मनोनयन पर बधाई दी । इस अवसर पर मुनिराज श्री जिनचन्द्रविजयजी म.सा. ने कहा कि व्यक्ति धर्म आराधना करके ही अपनी आत्मा का कल्याण कर सकता है । चातुर्मास का यह अवसर आत्मा के कल्याण एवं धर्म आराधना के लिये सर्व श्रेष्ठ है और इस अवसर का लाभ हर मानव को लेना चाहिये । प्रवचन पाण्डाल का नामकरण श्री राजेन्द्र ऋषभ प्रवचन मण्डप किया गया ।
अखिल भारतीय त्रिस्तुतिक जैन संघ की वेबसाईट का हुआ लांचिंग
राजगढ़ (धार) 11 जुलाई 2021 । ट्रस्ट के वरिष्ठ उपाध्यक्ष पृथ्वीराज सेठ, उपाध्यक्ष पृथ्वीराज कोठारी, महामंत्री फतेहलाल कोठारी मेनेजिंग ट्रस्टी सुजानमल सेठ व अ.भा. त्रिस्तुतिक जैन संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष चम्पालाल वर्धन व पदाधिकारीयों ने अ.भा. त्रिस्तुतिक जैन संघ की वेबसाईट का लांचिंग किया । इस वेबसाईट में त्रिस्तुतिक परम्परा के सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध है ।
पुष्य नक्षत्र पर तीर्थ परिसर में आयंबिल भवन हेतु भूमि पूजन हुआ
राजगढ़ (धार) 11 जुलाई 2021 | गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. की पावन प्रेरणा व ट्रस्ट मण्डल के निर्णयानुसार मुनिराज श्री पीयूषचन्द्रविजयजी म.सा. की निश्रा में श्रीमती दीवाली बेन बाबुलालजी मिश्रीमलजी वर्धन परिवार द्वारा विगत 10 वर्षो से प्रतीक्षारत आयंबिल खाता भवन के नवीन निर्माण हेतु भूमि पूजन किया गया ।
इस अवसर पर वरिष्ठ उपाध्यक्ष पृथ्वीराज सेठ, उपाध्यक्ष पृथ्वीराज कोठारी, महामंत्री फतेहलाल कोठारी, मेनेजिंग ट्रस्टी सुजानमल सेठ, कोषाध्यक्ष हुक्मीचंद वागरेचा, ट्रस्टी- बाबुलाल मेहता, शांतिलाल साकरिया, कमलचंद लुणिया, मांगीलाल पावेचा, चम्पालाल वर्धन, जयंतीलाल बाफना, बाबुलाल खिमेसरा, शांतिलाल दैयपवाला, मेघराज जैन, बाबुलाल वर्धन, संजय सराफ, मांगीलाल रामाणी, साकलचंद तांतेड़, आनन्दीलाल अम्बोर, कमलेश पांचसौवोरा, बाबुलाल डोडियागांधी, भेरुलाल गादिया, पुष्पराज बोहरा, जयंतीलाल कंकुचोपड़ा, तीर्थ के महाप्रबंधक अर्जुनप्रसाद मेहता, सहप्रबंधक प्रीतेश जैन आदि ने मुनिभगवन्तों एवं साध्वीवृन्दों को चातुर्मास प्रवेश पर कामली ओढ़ाई । इस अवसर पर राजगढ़ श्रीसंघ अध्यक्ष मणीलाल खजांची, कांतिलाल सराफ, राजेन्द्र खजांची, संतोष चत्तर, विनेश जैन, गिरीश गांधी, विमल वेदमुथा, राजमल वाणीगोता, दूधराज लुक्कड़, रमेश हरण, रमेश वाणीगोता, संतोष नाकोड़ा, शेलेष अम्बोर, शौकिन जैन, रिम्पल शाह, मनोहर मोदी, अशोक राठौर, चन्द्रशेखर मांदरेचा, संजय कोठारी, माणक चपड़ोद, सुभाष कोठारी, संजय नाहर, पारस बालगोता, गिरीश वेदमुथा, राकेश बोहराना, प्रकाश सेजलमणी, भरत वालचंदजी, सुरेश जैन, प्रकाश छाजेड़, दीपक बाफना धार सहित 25 से अधिक श्रीसंघों की उपस्थिति चातुर्मास प्रवेश पर रही ।
गुरु सप्तमी महामहोत्सव 2021
राजगढ़ (धार) म.प्र. 21 जनवरी 2021 । श्री आदिनाथ राजेन्द्र जैन श्वे. पेढ़ी ट्रस्ट श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ के तत्वाधान में दादा गुरुदेव श्रीमद्विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. का 194 वां जन्मोत्सव एवं 114 वां पूण्यदिवस श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ में श्री मोहनखेड़ा तीर्थ विकास प्रेरक वर्तमान गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. की पावनतम निश्रा एवं मुनिराज श्री रजतचन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री चन्द्रयशविजयजी म.सा., मुनिराज श्री पुष्पेन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री रुपेन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जिनचन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जीतचन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जनकचन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जिनभद्रविजयजी म.सा., साध्वी श्री किरणप्रभाश्री जी म.सा., साध्वी श्री सद्गुणाश्री जी म.सा. आदि ठाणा के सानिध्य में मनाया गया । गुरु गुणानुवाद सभा में भोपावर तीर्थ ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री रमण भाई मुथा मुख्य अतिथि के रुप में पधारे । श्री मुथा ने गुरु गुणानुवाद सभा में दादा गुरुदेव के जीवन पर प्रकाश डाला और कहा कि वर्तमान गच्छािधपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. का मुझ पर असीम कृपा है । वे हमारा हर काम में मार्गदर्शन करते है और हम भी उनकी आज्ञा के बिना कोई काम नहीं करते है । आचार्यश्री श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ पर बहुत बड़ी गौशाला का संचालन तीर्थ ट्रस्ट के माध्यम से करवा रहे है । मैं उनके जीवदया के कार्यो से प्रेरणा पाकर दान राशी की घोषणा कर रहा हूॅं । इस अवसर पर तिथि दर्शन गुरु सप्तमी पंचांग का विमोचन किया गया ।
लक्ष्मी का सदुपयोग करे - दान करे
दादा गुरुदेव श्री राजेन्द्रसूरि म.सा. द्वारा पुनर्स्थापित त्रिस्तुतिक श्वेताम्बर जैन परंपरा के प्रचार-प्रसार के धार्मिक कार्य मे अपनी लक्ष्मी का सदुपयोग कर सहयोग प्रदान करे।